नाथ मैं थारो जी थारो लिरिक्स

 











नाथ मैं थारो जी थारो,
चोखो, बुरो, कुटिल अरु कामी, जो कुछ हूँ सो थारो….
बिगड्यो हूँ तो थाँरो बिगड्यो, थे ही मनै सुधारो,
सुधर्‌यो तो प्रभु थाँरो सुधर्‌यो, थाँ सूँ कदे न न्यारो,
नाथ मैं थारो जी थारो….
बुरो, बुरो, मैं बहुत बुरो हूँ, आखर टाबर थाँरो,
बुरो कुहाकर मैं रह जास्यूँ, नाम बिगड़सी थाँरो,
नाथ मैं थारो जी थारो….
थाँरो हूँ, थाँरो ही बाजूँ, रहस्यूँ थाँरो, थाँरो,
आँगलियाँ नुँहँ परै न होवै, या तो आप बिचारो,
नाथ मैं थारो जी थारो….
मेरी बात जाय तो जाए, सोच नहीं कछु म्हारो,
मेरे बड़ो सोच यों लाग्यो, बिरद लाजसी थाँरो,
नाथ मैं थारो जी थारो….


जचे जिस तरह करो नाथ, अब, मारो चाहै थारो,
जाँघ उघाड्याँ लाज मरोला, ऊँडी बात बिचारो,
नाथ मैं थारो जी थारो….

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